आयुर्वेद का महत्व दुनिया भर में लगातार बढ़ रहा है और इसी कड़ी में भोपाल में हुआ ‘सौश्रृति 2025’ राष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन चर्चा का केंद्र बन गया। एलएनसीटी विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम ने न केवल परंपरा और विज्ञान का संगम दिखाया, बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नए रास्ते भी खोले।
रविवार को मुख्यअतिथि के रूप में डॉ. उमेश शुक्ला, सीईओ, प्रिंसिपल पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक कॉलेज व चिकित्सालय, भोपाल उपस्थित रहे। समापन सत्र में सम्बोधन देते हुए एलएनसीटी ग्रुप के सचिव डॉ. अनुपम चौकसे ने कहा कि “आयुर्वेद हमारी परंपरा और संस्कृति का अभिन्न अंग है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ जब आयुर्वेद का संतुलित उपयोग होता है तो स्वास्थ्य सेवाएँ और अधिक प्रभावी बनती हैं। इस सम्मेलन में देशभर से आए विद्वानों और शोधार्थियों ने जिस तरह अपने विचार प्रस्तुत किए हैं, वह आने वाले समय में चिकित्सा क्षेत्र के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा।
एलएनसीटी विश्वविद्यालय सदैव इस तरह के अकादमिक और शोधपरक आयोजनों को बढ़ावा देता रहेगा। हमारा लक्ष्य यही है कि आयुर्वेद जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धति को न केवल युवाओं तक पहुँचाया जाए, बल्कि इसे ग्लोबल प्लेटफ़ॉर्म पर भी स्थापित किया जाए। हमें गर्व है कि यह राष्ट्रीय सम्मेलन ‘सौश्रृति 2025’ एलएनसीटी परिसर में संपन्न हुआ और इसने आयुर्वेद जगत को एक नई दिशा दी है।”
शनिवार को उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में विधायक हुजूर क्षेत्र रामेश्वर शर्मा शामिल हुए थे। एन. सी. आई. एस. एम. नयी दिल्ली के सदस्य डॉ. के. के. द्विवेद्वी, डॉ. सुश्रुत कनौजिया, डॉ. अतुल वाष्र्णेय व आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वाष्र्णेय, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मिहिर कुमार झा, पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय भोपाल के सी. ई. ओ. व प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला व राष्ट्रीय गुरू आर. ए. वी. नयी दिल्ली डॉ. मधुसूदन देश पांडे भी सम्मेलन में मौजूद रहे। साथ ही देश भर से आयुर्वेद जगत के पचास से अधिक विद्वानों ने अपने ज्ञान से छात्र छात्राओं को उपकृत किया।
दो दिवसीय इस राष्ट्रीय सम्मेलन में जहां एक ओर सम्पूर्ण देश से प्रतिभागियों ने भाग लिया, वहीं कार्यक्रम में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नयी दिल्ली के डीन (पी.एच.डी.) डॉ. महेश व्यास, सतारा महाराष्ट्र सावरकर आयुर्वेद आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रचार्य श्रीनाथ काशीकर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के ट्रेडिशनल मेडीसिन इकाई के टैक्निकल ऑफिसर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद के प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार गोडत्वार, बेल्गवी कर्नाटक से डॉ. प्रदीप शिंदे, राजकोट गुजरात से डॉ. प्रकाश कुम्भकार, व जयपुर राजस्थान से लोकेन्द्र पहाडिया, महात्मा गांधी आयुर्वेद कॉलेज वर्धा महाराष्ट्र की प्रोफेसर डॉ. शीतल असुटकर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थ्ति रहे।
इस अवसर पर आयुर्वेद के शल्य तंत्र विधा के विद्वान चिकित्सकों को आचार्य सुश्रुत पुरुष्कार से नवाजा गया जिसके लिये संपूर्ण देश से नामांकन आमंत्रित किये गए थे। इनमें से पांच विद्वान चिकित्सकों को चुनकर शॉल, श्री फल, माला, प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह व ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रूपया नगद राशि के साथ सम्मानित किया